कविता

जीवन क्या है

जीवन तो एक है
मायने सबके लिए जुदा-जुदा है
‌ हैं किसी को प्रिय श्री राम
तो किसी को खुदा हैं ।।

किसी के लिए यह
ईश्वर प्रदत्त उपहार है
तो बन जाता किसी के लिए
यह कांटों का हार है ।।

कुछ पाने की आशा है
कुछ खोने की निराशा है
कहीं खुशियों के फूल हैं
तो कहीं बिखरे शूल हैं ।।

इसके नये नये रंग हैं
यह जीवन एक जंग है
जीत गए तो राजा
हार गए तो रंक हैं ।।

मंजिल की तलाश हो तो
जीवन एक मृग मरीचिका है
अहम की अंधी दौड़ में
युद्ध की विभीषिका है ।।

मिले तार से तार तो
यह लयबद्ध संगीत है
जो बिगड़ गई लै और ताल
तो यह भ्रमित और भयभीत है ।।

कर्म व भाग्य संग हैं
सर्व साधन सुलभ हैं
‌ इनकी मेहर नहीं है तो
दो जून की रोटी दुर्लभ है ।।

कभी ऐसा लगता है
जीवन तो एक जुआ है
लग गया दांव तो ठीक
वरना इधर खाई उधर कुआं है।।

यूं तो ये जीवन
कहने को क्षणभंगुर है
ना मिले अपनों का साथ
तो लगे मिलो का सफर है ।।

लम्बी डगर के पथिक के लिए
जीवन तो एक पड़ाव है
कहीं जुड़ते कहीं बिछुड़ते
कहीं धूप कहीं छांव है।।

वास्तव में तो यह जीवन
एक अबूझ पहेली है
है कौन समझ सका इसका रहस्य
यह सौगात किसे मिली है ।।

— सुधा अग्रवाल

सुधा अग्रवाल

गृहिणी, पलावा, मुम्बई