सर्वोच्च न्यायलय की शर्मनाक टिप्पणी
भारतीय जनता पार्टी की निलंबित नेत्री नूपुर शर्मा की टेलीविजन डिबेट के दौरान मजहब विशेष के संदर्भ में विवादित बयान के बाद पूरे देश में मुसलमानों ने प्रतिक्रिया देना प्रारंभ कर दिया। और विवाद मुसलमानों ने इतना किया की राजस्थान में एक हिंदू की सरे आम गला काट कर हत्या कर दी। जबकि नूपुर शर्मा ने अपने बयान के प्रति खेद भी प्रकट किया और भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें छः साल के लिए निलंबित भी कर दिया उसके बाद भी मुसलमानों का उग्र प्रदर्शन जारी है जो शर्मनाक है। इसी विवाद में न्यायालय भी कूद पड़ा और टिप्पणी किया सर्वोच्च अदालत का कहना है कि पैगम्बर पर टिप्पणी वाले मामले में देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए निलंबित भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा “सिंगल हैंडेड-ली” ज़िम्मेदार हैं।
उक्त घटना नूपुर शर्मा के कारण हुई हैं अब नूपुर शर्मा को टेलीजन पर आकर छ्मा मांगे। इस समय अब यह सिद्ध करने में न्यायालय लग गया की नूपुर शर्मा गलत है। न्यायलय का यह बयान आग में घी डालने का कार्य जैसा हो गया। अब मुसलमान इस बयान का अवसर बनाकर उग्र प्रदर्शन करें तो यह सारी जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय की होनी चाहिए। न्यायलय का इस समय आया बयान निराशाजनक व शर्मनाक है। दूसरे शब्दों में, सर्वोच्च अदालत का यह कहना है कि हिन्दुस्तान में बोलने की आज़ादी नहीं है, बहस की संस्कृति नहीं है, यहाँ पर धार्मिक किताबों से उद्धरण देकर जिरह की चुनौती नहीं दी जा सकती, यहाँ पर ईशनिंदा क़ानून लागू है, और वास्तव में भारत धर्मनिरपेक्षता की आड़ में एक इस्लामिक मुल्क है, जो इस्लामिक तौर-तरीक़ों से चलेगा।
मुझे याद आता है पैग़म्बर का चित्र बनाने के बाद फ्रांस में जब एक शिक्षक की हत्या कर दी गई थी तो वहाँ के राष्ट्रपति एमान्युएल मैक्रों ने राजकीय सम्मान से उस शिक्षक का अंतिम संस्कार करवाया था और स्पष्ट रूप से यह वक्तव्य दिया था कि हमारे देश में बर्बरतापूर्ण तौर-तरीक़े नहीं चलेंगे, हम आधुनिक, मुखर, स्वतंत्र राष्ट्र हैं।
इस समय पर न्यायलय को ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए था। जबकि ऐसी बहुत घटनाएं हुई हैं जहां हिंदुओं को अपमानित किया गया और न्यायालय शांत बैठा रहा। न्यायलय भी क्या अब राजनीति करने लगा है, देश को आग में झोंकना चाहता है न्यायलय का यह कुक्रत्य निंदनीय है न्यायलय की गरिमा के प्रतिकूल है मुस्लिम समाज से अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट के बयान को नजरंदाज करे। और देश में शांति स्थापित करने की पहल करे।
— बालभास्कर मिश्र