कविता

माँ

माँ रामचरितमानस की चौपाई है,
गीता का उपदेश है!
कविता के अंलकार जैसी है,
माँ एक पवित्र नाम है।

माँ सरस्वती विद्या की देवी है,
ज्ञानी और विज्ञानी दोनों है!
करुणा की करुण कहानी है,
श्रद्धा , ममता का भण्डार होती है।

माँ मंदिर की मधुर ध्वनि होती है,
भगवान का प्रसाद होती है!
मोहक स्वरों का सरगम होती है,
माँ सारा दुख हर लेती है।

माँ इन्सानियत का रुप होती है,
त्याग की प्रतिमूर्ति होती है!
माथे की चन्दन होती है,
चिलचिलाती धूप में माँ छाँव होती।

त्याग और बलिदान का रुप होती है,
माँ में असीम शक्ति होती है!
हौंसला बढा़ती रहती है,
माँ मन का भाव पढ़ लेती है।

माँ जिन्दगी की सही परिभाषा है,
जिन्दगी का सुहावना सफर है!
संस्करों की गंगोत्री होती है,
माँ ही जीवन की आराधना है।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171