मुझको तोता कह सकते हो,
संग मेरे बतिया सकते हो,
अपनी प्रशंसा जो खुद करता,
मिट्ठू मियां उसे क्यों कहते हो?
मैं तो वही बोलता हूं जो,
मुझे सिखाते हो तुम लोग,
राम-राम कहना सिखलाओ,
गाली बकना बुरा है रोग.
अच्छे बच्चे अच्छी बातें,
करते और सिखाते हैं,
वक्त पड़े तो काम बड़े भी,
छोटे कर दिखलाते हैं.
संग मेरे बतियाओगे तो,
बातें अच्छी सिखाऊंगा,
सच्चा प्यार और सच्ची दोस्ती,
मैं खुश होके निभाऊंगा.
*लीला तिवानी
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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