नव वर्ष
नव उमंग – नव तरंग
धूप – छांव संग – संग
पीली सरसों- खिली सरसों
तन चहका – मन हर्षो
बौराए आम, मंहके बाग
चुनरी में लगा दाग
आया नूतन साल
कोयल गाए डाल-डाल
हृदय में खुशियां अपार
चली प्रेम भरी बयार
लगे भोर बड़ी सुहानी
है ये नई साल की कहानी
रजनी बनी मनमोहिनी
शीतल चांदनी हुई सुहावनी
घूंघट में वो मुस्कुराए
दर्पण भी शरमाए
होता हृदय में स्पंदन
आओ नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा