कविता

नव वर्ष

नव उमंग – नव तरंग
धूप – छांव संग – संग
पीली सरसों- खिली सरसों
तन चहका – मन हर्षो
बौराए आम, मंहके बाग
चुनरी में लगा दाग
आया नूतन साल
कोयल गाए डाल-डाल
हृदय में खुशियां अपार
चली प्रेम भरी बयार
लगे भोर बड़ी सुहानी
है ये नई साल की कहानी
रजनी बनी मनमोहिनी
शीतल चांदनी हुई सुहावनी
घूंघट में वो मुस्कुराए
दर्पण भी शरमाए
होता हृदय में स्पंदन
आओ नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111