गीतिका/ग़ज़ल

गजल

तुम महापुरुषों के जीवन पे नजर डालो भी
दिल के आईने में फिर देर तलक झाँको भी

मत अपेक्षा करो जीवन में चमत्कारों की
अपने अस्तित्व की सच्चाई को पहचानो भी

प्यास सच्ची है तो मृगतृष्णा से बाहर निकलो
तुम भगीरथ हो तो गंगा कोई प्रकटाओ भी

कर्म ही से महापुरुषों को जाना जग ने
उनके आदर्शों पे चलकर जरा दिखलाओ भी

अति श्रद्धा न उदासीनता ज्यादा अच्छी
जिन्दगी में है जो उत्तम उसे अपनाओ भी

न तो उपदेश है ये ना ही परामर्श कोई
तुम भी बस मेरी तरह ‘शान्त’ गजल गाओ भी

— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ