गजल
बनाओ न खुद से बहाना कभी |
नहीं बेबसी तुम दिखाना कभी ||
गलत राह पर जो तुम्हें ले चलें |
सखा तुम उन्हें मत बनाना कभी ||
किसी के सदन को बना राख दे |
नहीं आग ऐसी लगाना कभी ||
तुम्हें जन्म जिस मातु ने है दिया |
उसे मत तनिक भी सताना कभी ||
गुरू जो तुम्हें बाँटता ज्ञान है |
नहीं उस गुरु को भुलाना कभी ||
दिशा जा रही जो पतन की तरफ |
कदम उस तरफ मत बढ़ाना कभी ||
किराए का’ है बस सदन यह जगत |
नहीं हक यहाँ पर जमाना कभी ||
— डॉ. सोनिया गुप्ता