गीत/नवगीत

सूरज दादा

सूरज दादा आओ ना !दूर  खड़े मुस्काओ ना !

यह  सर्दी  होकर   बेदर्दी   सबको  सता  रही  |
हवा चला के बर्फीली ताकत अपनी जता रही |
आँखे अपनी गुस्से वाली इसको दिखलाओ ना!
सूरज दादा आओ ना !
दूर  खड़े मुस्काओ ना !    (1)

वाहन    कोई    दौड़ न   पाए सड़कों  पर |
छा कर  कोहरा  धोंस  जमाए  सड़कों  पर |
लगें होश ठिकाने इसके जोश दिखाओ ना |
सूरज दादा आओ ना !
दूर  खड़े मुस्काओ ना !  (2)

दादा   दादी   सिमटे  रहते   कम्बल  में |
ठंड  बहुत  है  कहते   रहते कम्बल   में |
पुन्य मिले तुमको , इनको धूप सिकाओ ना |
सूरज दादा आओ ना !
दूर  खड़े मुस्काओ ना !    (3)

हम सबके हालात बने प्रतिकूल  सभी |
खेल बन्द हैं   और बन्द हैं स्कूल सभी |
हम बच्चों पर थोड़ी कृपा बरसाओ ना |
सूरज दादा आओ ना !
दूर  खड़े मुस्काओ ना !   (4)

बार बार कहना मुझे  कचोट रहा है |
मकर संक्रांति पर दादा लौट रहा है |
बच्चों अब तुम बिलकुल भी घबराओ ना !
सूरज दादा आओ ना !
दूर खड़े समझाओ ना !  (5)

— इकबाल अहमद

इकबाल अहमद

सहसवान, बदायूँ