बैठके करते रहे भाजपाई, नही खटखटाई घरों की कुंडी
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का लोक सभा सामान्य निर्वाचन २०२४ सम्पन्न हो चुका है और परीणाम भी सबके सामने आ चुका है। जाहिर है कि इस बार भी श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी घटकों के साथ पुनः लगातार तीसरी बार सरकार बनाने तो अवश्य जा रही है किन्तु भाजपा ने जैसा सोचा था उसके अनुकूल चुनाव परिणाम नही रहा। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी समर में “अबकी बार चार सौ पार” के नारे के साथ चुनावी समर में ताल ठोक रही थी चार सौ पार सीट भाजपा को प्राप्त करना कोई अतिशयोक्ति भी नही होनी चाहिए थी। कारण साफ है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के पिछले दस वर्षो के कार्यकाल में भारत ने विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं और दुनिया के पटल पर अपनी धाक भी बनाई है। गांव – गांव बिजली, सड़क, पेय जल, राशन, आवास, शौचालय, स्वच्छता, चिकित्सा, शिक्षा के क्षेत्रों में पिछली सरकारों की अपेक्षा अभूतपूर्व कार्य किया है। जन सामान्य के रोजमर्रा के जीवन में सुधार हुआ है। इस सबके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी चुनाव में प्रतीक्षित सफलता प्राप्त करने में सफल नहीं रही जिसके कई कारण सामने उभर कर आ रहे हैं।
पहला कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक, पार्षद, जिला पंचायत अध्यक्ष आदि केवल मोदी योगी के भरोसे बैठ कर जीत का स्वप्न देखते रहे स्वयं जमीन पर जाकर पसीना नही बहाए। इसके अतिरिक्त जमीनी कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज किया उनके क्षेत्र या व्यक्तिगत के छोटे – मोटे कार्यों पर ध्यान नहीं दिया छोटे कार्यकर्त्ता, भाजपा समर्थकों को जैसा सम्मान अपने सांसद विधायक से चाहिए था उन्हे नही मिला। दूसरा विकास के क्रम में केवल मोदी योगी के भरोसे रहे और स्वयं जमीन पर जाकर हकीकत से रूबरू नही हुए जिसका फायदा विपक्ष ने उठाकर घर – घर संपर्क कर झूंठा, भ्रामक संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने, एक लाख रुपए देने का विमर्श स्थापित करने में कामयाब रहे। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक पार्षद, मंडल अध्यक्ष, बूथ अध्यक्ष, पन्ना प्रमुख आदि अति आत्मविश्वास में होकर केवल दिखावे के लिए बैठके करते रहे और डायरी पर लिखकर शीर्ष नेतृत्व को झूँठा वृत्त देते रहे पूरे चुनाव आभियान में घर- घर जाकर कुंडी खटकाने का कार्य स्थानीय नेता सांसद, विधायकों ने नही किया केवल बैठके कर- कर के सबको थकाते रहे धूप में जाकर पसीना बहाने का कार्य केवल योगी मोदी के भरोसे छोड़ कर खुद सूट- बूट, क्लब किया कुर्ता पैजामा पहन कर सोशल मीडिया पर केवल हवा हवाई बाते करते नजर आए। जबकि विपक्ष ने फूट डालो और राज करो के सिद्धांत को अपनाकर हिन्दू समाज को जातियों में बांटने की रणनीति पर कर कार्य किया और लगातार क्षेत्र में बने रहने वाले लोगों को विपक्ष ने उम्मीदवार बनाया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अपने थके – हारे पुराने, बाहर से आए आयातित लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया जिसका स्थानीय समर्थकों ने विरोध भी किया।
भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा अपने मूल कार्यकर्त्ता की भावनाओं को नजर अंदाज किया गया जिसका खामियाजा चुनाव परिणाम में दिखने को मिला। सब मिलाकर यह जो परिणाम प्राप्त हुआ है इसका स्वागत होना चाहिए और इससे सबक लेकर आगामी आने वाले विधानसभा के चुनाव में अभी से तैयारी भाजपा को उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखकर करना चाहिए। यह ठीक है कि कुछ नुकसान उठाकर बड़े नुकसान को रोकने का अवसर प्राप्त हुआ है भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ अपने तीसरे कार्यकाल के लिए पूरी तरह से तैयार है और सकारात्मक सोच के साथ योग्य रीति से सरकार चलाएगी यह सभी को विश्वास है अभी भी देश की जनता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से अथाह प्रेम करती है और मोदी की गारंटी पर जनता को पूरा भरोसा भी है बसरते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व स्थनीय, क्षेत्रीय मुद्दों को ध्यान में रखकर ऊर्जावान, ईमानदार, जमीनी, जानता के भावों को महसूस करने वाला मिलनसार क्षेत्र में पर्याप्त समय देने वाले व्यक्ति को चिन्हित कर उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। पुराने कार्यकर्ताओं का सम्मान, उनके कुछ छोटे – छोटे कार्यों, समस्याओं तो तत्काल हल करने से भाजपा पुनः अपने परचम को लहराने में कामयाब होगी।
— बालभास्कर मिश्र