सामाजिक

मां ने जो सिखाया, वही काम आया

बात। उन दिनों की है,जब मैं घर के कुछ भी काम -काज करना चाहती तो, पिताजी कहते तुम्हे घर के कोई काम -काज करने की जररूत नही है,घर में इतने सारे नौकर – चाकर लगे हुए है, वो करेंगे,तुम आराम से रहो,जैसे कोई राजकुमारी आराम से रहती है,और झूला झूलते रहती है, मैं पिताजी की बाते को सुनकर चुप – चाप गर्दन झुका लेती, क्योंकि मैं पिताजी से न ही कुछ बोल पाती, और न ही उनकी बातो को टाल पाती,लेकिन मां कहती ठीक है आपकी लाडली बेटी घर के कोई काम -काज नही करेगी,लेकिन सीखने में क्या हर्ज है? ऐसे भी कोई लड़की मायके में चाहे कितना भी आराम करे, ससुराल में जाकर तो करना ही पड़ता है,इसलिए तो मैं इसे घर का काम -काज करने कहती हूं । ताकि ससुराल में इसे कोई ताना नही दे, और कोई परेशानी नहीं हो। पिताजी मां की बातो को सुनकर बोले, इसकी शादी जहां हम करेंगे, वहां पर भी ये रानी की तरह रहेगी, और एक भी काम ससुराल में नही करेगी,क्योंकि हम शादी बहुत ही धनवान घर में करेंगे,क्योंकि हमारे घर में बेटी का जन्म तीन पुष्ठो के बाद हुआ है, और ये हमारी इकलौती संतान है,इसलिए इसकी शादी में हम पूरा धन-दौलत देकर विदा करेंगे, ताकि इसे भविष्य में भी कोई दिक्कत नही हो। मां पिताजी की बातो को सुनकर चुप हो गई। और उनको जवाब दिए बिना, मुझे घर के सारे काम -काज सिखाने लगी, यहां तक कि सिलाई, कढ़ाई, बुनाई भी सिखाई। फिर एक दिन हमारी शादी धूम धाम से हुई, ।बहुत ही अमीर -घर में,और पिताजी ने भी काफी धन -दौलत देकर हमे बिदा किया,मैं ससुराल में रानी की तरह रहने लगी, मजे से दिन कट रहे थे,लेकिन वक्त को कौन जानता है? ये कब पलट जाए, और सबकुछ लूट जाए। एक दिन बाढ़ आया और घर सहित सबकुछ डूब गया, हम किसी तरह जान बचा। कर अपने बच्चो के साथ भागे, और दूसरे शहर में किसी रिश्तेदार के घर रहने लगे,और वहीं पर रहकर मैने मां के दिए हुए हुनर को आजमाने लगी,और मैं पैसे कमाने लगी, और हम फिर से अपना न्यू घर में रहने लगे, इधर किसी ने मुझे कहा पिताजी की बहुत तबियत खराब है, और वो खटिया से उठ भी नहीं पा रहे हैं, क्योंकि बढ़ वहां भी आया था, और वहां की स्थिति भी बहुत खराब हो गई थी, यही वजह थी,पिताजी की तबियत खराब की, मां किसी तरह घर संभाली हुई थी, मैं पिताजी से मिलने मायके गई, मां को गले लगाया, तथा पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया, उसके बाद मैं पिताजी के पैर छू कर आशीर्वाद ली, पिताजी रोने लगे और बोले अब मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है बेटा,मैं खुद बेसहारा बन चुका हूं, फिर पिताजी ने कहा शादी के वक्त जो मैने तुम्हे धन दौलत दिया था, क्या वह बाढ़ के वक्त बचा था, मैने पिताजी से कहा कुछ भी नही बचा, जो आपने मुझे दिया, लेकिन मां ने जो मुझे दिया वो अभी भी मेरे पास है,और जिससे मैं अपना जीवन चला रही हूं,मेरी बातो को सुनकर पिताजी बोले ऐसा क्या तुम्हारी मां ने दिया? जो खतम नही हुआ? और इतना भयंकर बाढ़ आने पर भी खतम नही हुआ, तब मां पिताजी से बोली मैने इसे अपना हुनर दिया, जिससे आपकी बेटी खराब परिस्थिति में भी सुकून की जिंदगी जी रही। और हुनर इंसान की भीतरी ताकत होती है,जो बुरे वक्त में भी काम आता है,और इंसान को जीना सिखा देता है, मां की बात को सुनकर पिताजी बोले सही कह रही हो तुम।

— रीना सोनालिका

रीना सोनालिका

अमित कुमार बर्नवाल गणपति ट्रेडर्स राणा प्रताप नगर डॉक्टर केडियन सी गली D,k,D,N ,c gali। शहर...चास जिला... बोकारो राज्य ...झारखंड फोन नं....9693920946