कविता

पथ से भटकी युवा पीढी

विवाह तेरा व मेरा है
इसी सोच को धोना है
विवाह दो तनों का नहीं
ये कुल कुटुंब में होना है
ये नए दौर की नई ब्रीड है
जो परम्परा को छोड़ रही है
इसीलिए नए विवाह टूट रहे हैं
क्या होने वाला है इस समाज का
कब समझेंगे नवीन समाज के लोग
कैसे वंश चलेंगे आगे, बड़ी चिंता है
नई पीढी कुछ समझ नहीं रही है
अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है
अधेड़ अवस्था में शादी कर रहे
पति-पत्नी दोनों रहते अकेले
फिर भी बच्चे पैदा नहीं होते
माता-पिता साथ नहीं रहते
फिर भी दोनों में न बनती
बताओ ये कैसा युग है?

— चन्द्र शेखर शर्मा चन्द्रेश

चन्द्र शेखर शर्मा चन्द्रेश

जन्म 31.01.1960, जयपुर 13-14 की अवस्था से काव्य लिखना शुरू किया। 1977 में दैनिक राष्ट्रदूत, 1978 में राजस्थान पत्रिका, फिर 1979 से 1982 तक राष्ट्रदूत, और 1984 तक समाचार जगत में पत्रकारिता की। 1984 से 2020 तक केन्द्र सरकार में सेवा। इस अवधी में भी दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति और कृषि गोल्डलाइन में बाहरी रूप से जुड़ा रहा। 1912 से 2020 तक दूरदर्शन में कृषि समाचार भी प्रेषित किए। साथ ही पेपर्स में स्तंभ लेखन, सामान्य लेख, कहानी, कविता, गीत, हास्य, वयंग्य, फीचर लिखना जारी रहा। हिंदी के अलावा राजस्थानी और बृज भाषा में भी कुछ रचनाएँ लिखी। प्रथम पुरस्कार - 1992 में कादम्बिनी ( Hindustan Times) कहानी प्रतियोगिता में मेरी कहानी पहली अप्रेल का फूल को पुरस्कृत किया गया और तत्कालीन राज्यपाल डॉ. डी पी चटोपाध्याय के कर कमलों से अवार्ड मिला। प्रथम प्रकाशन - 1992 में प्रथम काव्य संग्रह मेरी काव्या प्रकाशित हुआ। इसे अनुग्रह साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। द्वितीय प्रकाशन - 2008 में दूसरा काव्य संग्रह और गा हारिल प्रकाशित। इसे अवाम इंडिया पुरस्कार प्रदान किया गया। शिक्षा - 1982 में BA, 1985 में लोक प्रशासन में MA, 1987 में हिंदी साहित्य में MA (सभी राजस्थान विश्वविद्यालय से) और 1980 में कोटा विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जन संचार में डिग्री।