प्यार
एक हम हैं
जो उनसे
खुद से भी ज्यादा प्यार जताते है
वो हों या न हों
मगर उनको अपने अहसासों में
हमेशा अपने पास पाते हैं
जानते हैं हम
की उन्हें क्या अच्छा लगता है
और क्या बुरा लगता है
तभी तो कुछ लिखते लिखते
अक्सर ही कुछ शब्द छूट जाते हैं
वो शायद यह भी नही जानते होंगे की
वो होते हैं तो
हम भी खुद को उनके दामन में पाते हैं
और एक पल भी ओझल हो जाएँ आँखों से
तो कह नही सकते
की हम खुद को कितना तनहा पाते हैं
वो होते हैं तो हम कुछ भी नही होते
वो नही होते तो हम कुछ नही रहते
वजह चाहे कुछ भी हो
सच यही है
की हों या न हों
पर हम तो खुद ब खुद लुट जाते हैं
और ं
तभी तो कुछ लिखते लिखते
शब्द छूट जाते है
वाह !
बहुत अच्छी कविता .