ऊपर के चित्र पर आधारित कुंडलिया छंद
माँ बसंत मैं देख लूँ, आई तेरी कोख
देख पतझड़ आयगा, नवतरु पल्लव शोख़
नवतरू पल्लव शोख, मातु मैं कली बनूँगी
पा तुमसा आकार, धन्य मैं बाग करूंगी
कह गौतम कविराय, भ्रूण भी कहता माँ माँ
हरियाली लहराय, कोख से पुलकित है माँ॥
— महातम मिश्र (गौतम)
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
सादर धन्यवाद आदरणीय आप का आशीष मिला