वक्त
वक्त ने कब ज़िन्दगी का साथ दिया है ,
हमेशा आगे ही चलता जाता है !
ज़िन्दगी वक्त की परछाई सी नजर आती है !
वक्त बहुत बेरहम है
अपनी परछाई का भी साथ छोड़ जाता है !
वक्त का हर सितम ज़िन्दगी सहती जाती है
मगर उफ़ नहीं करती !
किसी के पास इतना वक्त कि काटना मुश्किल होता है ,
और किसी को इतना भी वक्त नहीं होता
कि अपनों के लिए वक्त निकाल सके !
काश !
कोई दिखाये दिशा इस ज़िन्दगी को ,
वक्त के साथ चलना सिखाये —-
वक्त का साथ मिल जाए अगर तो,
ज़िन्दगी के मायने बदल जाए !!
— डॉली अग्रवाल