कविता : नहीं करती तुम्हें याद
जो तुम ये सोचते हो
कि मैं तुम्हें
याद नहीं करती
तो सही सोचते हो…
साँस लेना भी भला
कभी याद करना होता है??
जीने की ज़रूरत है
जैसे साँस लेना,
लहू का धमनियों में
सतत् बहना,
ह्रदय का अनवरत
स्पंदित रहना
वैसे ही जीने के लिए
ज़रूरी है
तेरे एहसासों के
साथ रहना…
हां
इसलिये मैं तुम्हें
याद नहीं कर पाती…
— शिवानी शर्मा, जयपुर