कविता

“विनती”

एक मुक्तक, मात्रा भार- 16-16=32

हे प्रिय माधव कृष्ण मुरारी, सुन श्याम सखा गिरधारी
तुम हो आलम गिरिवरधारी, मन छा गए सुदर्शनधारी
सुन लो विनती यशुमति नंदा, गोकुला हियो नट गोविंदा
दहि-माखन गोपियन जुठारी, सुधिया हमरी लो बनवारी॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

3 thoughts on ““विनती”

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

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