“विनती”
एक मुक्तक, मात्रा भार- 16-16=32
हे प्रिय माधव कृष्ण मुरारी, सुन श्याम सखा गिरधारी
तुम हो आलम गिरिवरधारी, मन छा गए सुदर्शनधारी
सुन लो विनती यशुमति नंदा, गोकुला हियो नट गोविंदा
दहि-माखन गोपियन जुठारी, सुधिया हमरी लो बनवारी॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
सुंदर
सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी
सुंदर