शिशुगीत

दो शिशु गीत

हाथी पापा चले सैर को

हाथी पापा चले सैर को
लेकर अपने बाल-गोपाल,
एक कहे हम चलें मुंबई,
एक कहे हम नैनीताल.
इतने में हुआ हरा जो सिग्नल,
पापा हुए सड़क के पार,
पहुंच न पाए कहीं बेचारे,
रह गए पीछे बाल-गोपाल.
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तितली रानी कहां चली?

तितली रानी कहां चली?,
पूछ रही है लाल कली,
‘फूलों को तो सहलाती हो,
क्या मैं लगती नहीं भली?’
‘अभी तुम्हारा बचपन प्यारा’,
तितली बोली ‘सुनो कली,
सह न सकोगी बोझ हमारा,
तुम खेलो मैं दूर भली.’
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

14 thoughts on “दो शिशु गीत

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    दोनों बालगीत सुंदर है. बधाई लीला तिवानी जी .

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    दोनों बालगीत सुंदर है. बधाई लीला तिवानी जी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय ओमप्रकाश भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

      • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

        आदरनीय लीला जी , आप वास्तव में सुन्दर बालगीत लिखे है. इसलिए प्रशंसा तो बनती है. सादर.

        • लीला तिवानी

          प्रिय ओमप्रकाश भाई जी, आपने भी प्रतिक्रिया बहुत सुंदर लिखी है, इसलिए प्रशंसा तो बनती है. सादर. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • बहुत सुन्दर रचना ,एक एक लाइन में रूह दिखाई दी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय अर्जुन भाई जी, आपके रूहानी नज़रिए को सलाम. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      प्रिय रमेश भाई जी, उम्दा प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      प्रिय रमेश भाई जी, उम्दा प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सुन्दर गीत

    • लीला तिवानी

      प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    दोनों रचना मन लुभाया

    • लीला तिवानी

      आपने भी हमें बहुत हर्षाया.

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