कविता

क्या हर गरीब मरने के बाद यही गती पायेगा??

देख कर ये चित्र रूह सिहर गई
ऐसा लगा सब की आत्मा मर गई
इक्कीसवीं सदी के भारत में
साधन के अभाव में एक लाश
पति के कंधे लद गई

क्या बीती होगी उस पति पर ,
जो ढो रहा पत्नी की लाश को
क्या हालत होगी उस बेटी की,
जो देख रही थी लाचार बाप को
दो चार नहीं दस किलोमीटर ढोता रहा
शव को अकेला कंधे उठाये
हाय क्यों नहीं आई दया किसी को ,
देख ये शर्मनाक नजारा अपने दायें बायें

किसको दोष दें इस बेदर्दी ,और
शर्मनाक घटना के लिए
किसके सर फोड़े ठीकरा ,
इस खतरनाक दुर्घटना के लिए
सरकारी तंत्र,आम आदमी,
मानवाधिकार वाले सब दोषी हैं
इस नज़ारे को रूबरू देखने वाला
हर शख्स वहां का दोषी है

क्यों आज मर गई इंसानियत
जो ऐसे नज़ारे दिखते हैं
जिंदा मर रहे इलाज के बिन, और
मरने पर जलने को तरसते हैं
सब जानते है हर मजहब में ,
अर्थी उठाने को चार कंधे लगते हैं
पर जहाँ मर जाये इंसानियत ,
वहाँ ऐसे भी नज़ारे दिखते हैं

क्या किसी गरीब का मरना भी
अब गुनाह हो जायेगा
मरती इंसानियत पर क्या कोई
यहाँ कुछ न कर पायेगा
या फिर हमेशा …..
हर गरीब मरने के बाद यही गती पायेगा …
हर गरीब मरने के बाद यही गती पायेगा….
$पुरुषोत्तम जाजु$

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन

3 thoughts on “क्या हर गरीब मरने के बाद यही गती पायेगा??

  • लीला तिवानी

    प्रिय पुरुषोत्तम भाई जी, अति दर्दनाक घटना की अति भावुक प्रस्तुति.

  • लीला तिवानी

    प्रिय पुरुषोत्तम भाई जी, अति दर्दनाक घटना की अति भावुक प्रस्तुति.

    • पुरुषोत्तम जाजू

      शुक्रिया ,आदरणीया

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