मुक्तक/दोहा

गांधी एवं शास्त्री जी पर दोहे

दो अक्टूबर को हुए,लिये अनोखा काम ।
गांधी लाल  बहाद्दुर,उन  दोनों  के नाम ।।
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अठारह सौ उनहत्तर,वर्ष समझ यह खास ।
दो अक्टूबर को  हुये,पैदा       मोहनदास ।।
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क्वार मास उन्नीस में,था संवत छब्बीस ।
गांधीजी   पैदा   हुये,देश  नवाये शीश ।।
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पुतली  बाई  मात  थी,कर्मचन्द  थे  तात ।
जन्म हुआ वो शहर था,पोरबन्द्र गुजरात ।।
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हिन्दू कुल उत्पन्न थे,वर्ण वैश्य लो जान ।
धर्मपरायण मात थी,पिता शहर दीवान ।।
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गांधीजी ने है दिया,अखिल विश्व को ज्ञान ।
सत्य अहिंसा पर चलो,धर्म   यही  इंसान ।।
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दो अक्टूबर उन्नीस की,थी चौथी जब साल ।
शारद  घर  पैदा  हुये,वीर   बहादुर   लाल ।।
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शहर उत्तर प्रदेश में,जनपद मुगल सराय ।
तात शारदा,मात  वो,रामदुलारी     पाय ।।
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काशी विद्यापीठ से,लिया  शास्त्र  का ज्ञान ।
आगे चलकर जो बनी,शास्त्री की पहचान ।।
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जय जवान वो ही कहे,जय हो कहे किसान ।
इस   नारे  से   देश  में,जागा    स्वाभिमान ।।
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जीवन  में   करते   रहो,शास्त्री जी सम यत्न ।
दीपक बन उजियार कर,चमको बनकर रत्न ।।
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✍?नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”

नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष'

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