राजनीति

कतार से परहेज़ क्यों?

अगर है परेशानी तो है। क्या इससे पहले हमने कभी परेशानी नहीं झेली ? क्या इससे पहले हम कभी कतारों में नहीं लगे ? भूल गए वो राशन की कतारें , मंदिरों में दर्शन के लिए घंटों खड़े रहना ? शराब की दुकानों में कतार में खड़े होकर ज़हर खरीदना मंज़ूर है ? किसी बड़े सरकारी ओफ़िस में बड़े अधिकारी से मिलने के लिए घंटो इंतज़ार करना ? फ्री के सिम के लिए कतार में खड़े होकर इंतज़ार की वो घड़ियाँ भी भूल गए , उस पर भी सिम मिले या न मिले इसका भी भरोसा नहीं ?  सचमुच भूल गए सब लोग !

इसलिए भूल गए क्योंकि उन सब के लिए आप अपनी मर्ज़ी से लगे थे कतार में लेकिन आज सरकार के कहने पर कतार में लग कर आप सरकार पर अहसान कर रहे हो… और फिर ,अहसान तो जताने की चीज़ है तो आप जताना अपना फ़र्ज़ समझ रहे हो। अगर एक व्यक्ति आप से गुहार लगा रहा है कि बस कुछ दिन आप उनका साथ दो फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा। क्या हम इतना भी नहीं कर सकते ?
क्या हमारे जीवन में कतार में लगने के अलावा और कोई परेशानी नहीं है ? तो फिर आज कतार में लगना इतनी बड़ी समस्या कैसे हो गया ? वो भी तब जब हमें कतार में खड़े होने का लंबा अनुभव है और आज अगर हमें कुछ परेशानी है भी तो इसमें भ्रष्टाचार से मुक्ति की भी सद- संभावनांए भी हैं।
 एक बात बहुत साफ़  है कि जो लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं वो कहीं न कहीं सिर्फ अपना भला सोच रहे हैं और जो इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं वो देश का हित सोच रहे हैं। हमने अब तक बरसों  कई सरकारों का साथ दिया है ,उनकी योजनाओं को स्वीकारा है। कभी हमने ऐतराज़ नहीं किया।  फिर आज क्यों ? क्या इससे पहले कभी किसी ने आपसे आपकी राय मांगी किआप सरकार के साथ हो या नहीं ? तमाम हवाले हुए, घोटाले हुए , निर्भया जैसा वीभत्स हादसा हुआ — तब सरकार की किसी नीति का आपने विरोध किया ? हर योजना का हर फैसले का स्वागत किया आपने।
अगर आज देश का प्रधान मंत्री एक मंच से आपसे कुछ मोहलत मांग रहा है और इसमें देश का हित है तो आज एकदम से इतने विरोधी प्रवृत्ति के कैसे और क्यों हो गए ? ज़रा सोचिए , विचार कीजिये।
नमिता राकेश