प्रेम जगत का सार है
प्रेम जगत का सार है,
कोई इसे कहता प्रीत, कोई कहता प्यार है,
यह प्रीत भी है, प्यार भी,
स्नेह भी है, दुलार भी,
प्रेम एक अनुपम उपहार है,
प्रेम जगत का सार है.
कोई इसे कहता प्रीत, कोई कहता प्यार है,
यह प्रीत भी है, प्यार भी,
स्नेह भी है, दुलार भी,
प्रेम एक अनुपम उपहार है,
प्रेम जगत का सार है.
प्रेम आभास है, अहसास है,
प्रेम तृप्ति है, न बुझने वाली प्यास है,
प्रेम प्रारम्भ भी है, अंत भी,
प्रेम सीमित भी है, अनंत भी,
प्रेम मुखर भी है, मौनमय इज़हार है,
प्रेम जगत का सार है.
प्रेम तृप्ति है, न बुझने वाली प्यास है,
प्रेम प्रारम्भ भी है, अंत भी,
प्रेम सीमित भी है, अनंत भी,
प्रेम मुखर भी है, मौनमय इज़हार है,
प्रेम जगत का सार है.
प्रेम जीवन की आशा है, अभिलाषा है,
प्रेम करता दूर निराशा है,
प्रेम शक्ति है, साहस की आहट है,
प्रेम खामोश है, झनझनाहट है,
प्रेम स्वीकृति है, सत्कार है,
प्रेम जगत का सार है.
प्रेम करता दूर निराशा है,
प्रेम शक्ति है, साहस की आहट है,
प्रेम खामोश है, झनझनाहट है,
प्रेम स्वीकृति है, सत्कार है,
प्रेम जगत का सार है.