कविता- यादें!!
आवो कुछ भूली बिसरी बात करें।
क्या खोया क्या पाया, वो बात करें।।
बचपन का जीवन-रोते-हंसते बीता ।
राहों में मस्ती, स्कूल में डरते बीता।।
कभी भरी दुपहरी , खेला बागों में ।
कभी गाय संग बीता, बाल गोपाल में।।
वैभव में बीता या, जिया गरीबी में ।
सचमुच वैसा मजा नहीं अमीरी में ।।
आवो कुछ भूली बिसरी बात करें।
क्या खोया क्या पाया बात करें ।।
गोबर से लीपे, रहते, आँगन बाडे मे ।
मगरू संग आग सेकते, सब जाडे में ।।
जो भी गुजरे , राम-राम हो जाती थी ।
दौड़ लगा मिलती, डाक की पाती थी ।।
कोई माता हाल जान, रो पडती थी।
कोई बहन भाई का खत ले अकडती थी।।
बिरहन कैसे पूछे , पिया का हाल डरें ।
आवो कुछ भूली-बिसरी बात करें ।।
कितना वजन होता था, इँसानी बात में।
जब रहता था संयुक्त परिवार साथ में ।।
अब तो सब नकली है-किसको साथ कहें।
आवो कुछ भूली-बिसरी बात करें ।।
— हृदय जौनपुरी