कविता – ए चांद…
ए चाँद…
रोज़ आते हो गली में
खिड़की से झाँककर
दिल में लहरें उठाकर
निकल जाते हो…
तौबा ये इश्क़ तुम से मेरा
कहीं चौखट पर मेरी
मेरी जान न ले ले…
शिवानी,जयपुर
ए चाँद…
रोज़ आते हो गली में
खिड़की से झाँककर
दिल में लहरें उठाकर
निकल जाते हो…
तौबा ये इश्क़ तुम से मेरा
कहीं चौखट पर मेरी
मेरी जान न ले ले…
शिवानी,जयपुर