“सब बच्चों का प्यारा मामा”
सारे जग से न्यारा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा।।
नभ में कैसा दमक रहा है।
चन्दा कितना चमक रहा है।।
कभी बड़ा छोटा हो जाता।
और कभी मोटा हो जाता।।
करवाचौथ पर्व जब आता।
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।
महिलायें छत पर जा करके।
आसमान तकतीं जी भरके।।
यह सुहाग का शुभ दाता है।
इसीलिए पूजा जाता है।।
जब नभ में बादल छा जाता।
तब ‘मयंक’ का पता न पाता।।
लुका-छिपी का खेल दिखाता।
छिपता कभी प्रकट हो जाता।।
धवल चाँदनी लेकर आता।
आँखों को शीतल कर जाता।।
यह नभ से अमृत टपकाता।
सबको इसका ‘रूप’ सुहाता।।
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— डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’