रंग उड़े
विधा-गीत
शीर्षक – रंग उड़े
रंग उड़े रंग उड़े ——
रंग उड़े आसमां में हर तरफ बहार है ,
हर तरफ ख़ुमार है होली का त्योहार है ।
फूल खिले बाग़ों में मधुबन गुलज़ार है ,
चूम रहा कलियों को भँवरा दिलदार है ।
रंग उड़े रंग उड़े ——–
गोरे – गोरे पाँवों में पायलिया छनक रही ,
गीतों की लहरी पे ढोलकिया लहक रही ।
अँखियन में कजरा है क़जरे की धार है ,
घूँघट को सरकाती बसंती बयार है ।
रंग उड़े रंग उड़े ——
दीवानो की टोली मस्ती मे झूम रही ,
भंग पिये बम बम बम बम बम बम गूँज रही ।
भोले भी मस्ती में पहुँचे कैलाश हैं ,
सतरंगी रंगो का आया त्योहार है ।
रंग उड़े रंग उड़े ——-
कान्हा ने पिचकारी भर के जो दे मारी ,
भीग गयी राधा की गोपी की भी सारी ।
टेसू के फूलों से आसमान भी लाल है ,
लाल लाल गालों पे चमका गुलाल है ।
रंग उड़े रंग उड़े —–
धानी सी धरती पे आसमान है नीला ,
सर सरा सर सर सर सर रंग डाला रे गीला ।
बैर को मिटाने का ही संदेश लायी है ,
चैत के महीने में खेलो होली आयी है ।
रंग उड़े रंग उड़े ———-
डा० नीलिमा मिश्रा