हे ईश्वर
है विनती
तुम से
करो संहार दूषित
सोच का
जिस से फैलता फन
पाप और पीड़ा का ।।
हे ईश्वर
है विनती
तुम से
तारो दूषित
पर्यावरण से
स्वच्छ हो जल
स्वच्छ हो हवा
स्वच्छ हो वातावरण
घर बाहर
तो बने निर्मल मन।।
हे ईश्वर
है विनती
तुम से
मुक्त करो
जन जन को
पान बीड़ी सिगरेट गुटके से
न फैंलेगे रोग
न होंगे इनके निशान
हर सड़क हर दीवार हर इमारत पर
हो रोक थाम कड़ी इनकी
तो बने स्वास्थ्य बेहतर।।
हे ईश्वर
है विनती तुम से
बने खुशहाल
जन जीवन
खिलें फूल अमन चैन के
महक हो फ़िज़ाओं में
अपनेपन की छल कपट से दूर
हो साफ़ सुन्दर तन और मन
तो रहे कलेश कलह भी दूर सदा।।
हे ईश्वर
है विनती तुम से
बस कर दो कुछ
ऐसा कमाल
आ जाये जीना फिर से
सबकी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी की तरह।।
— मीनाक्षी सुकुमारन