लघुकथा

डायरी

बहुत प्यार करती थी नेहा अपनी भाभी से। उनके न रहने की ख़बर सुन सुध बुध खो, अपने भैया के घर दौड़ पड़ी।  सबका रो – रो कर बुरा हाल था। भाभी का प्रिय सामान उनके साथ ही जलाने के विचार से नेहा ने उनकी अलमारी खोली, सामने ही भाभी की डायरी पड़ी थी । भाभी की कोई इच्छा दबी न हो, इसलिए आज पहली बार नेहा ने उनकी डायरी खोली।
पन्नों पर ज्यादा कुछ न लिखा था। अपना नाम पढ़ कर नेहा की नजर  एक पन्ने पर रुक गई। लिखा था, “न जाने नेहा किस मिट्टी की बनी है, मज़ाक और अपमान का फ़र्क ही नहीं समझती। जाने क्यों बार बार मायके दौड़ी चली आती है।”
आगे पढ़ने की हिम्मत नेहा में नहीं थी। चिता के साथ – साथ, भाई के घर न जाने की कसम खा कर आज नेहा रिश्तों की भी आहुति दे आई थी ।
अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 27 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed