गीत/नवगीत

सुशांत सिंह राजपूत को विनम्र श्रद्धांजलि

जान न पाया कोई भी, एकदम उठा लिया

ऐसे क्या हालात थे कि ये कदम उठा लिया

अपनी माटी, अपना देश सूना कर गए हो तुम

होता है यकीन नहीं कि, गुजर गए हो तुम

सुनके खबर आहत ये, दिल हमारा हो गया

फिल्मी नभ से एक चमकता सितारा खो गया

ये तो समाधान न था , क्यों वहम उठा लिया

ऐसे क्या हालात थे कि ये कदम उठा लिया

और भी कदम यहां थे मुश्किलों के वास्ते

अवसाद से निकलने के और कई थे रास्ते

और किसी रास्ते को क्यों चुना तुमने नहीं

देश की धड़कन में तुम थे क्यों सुना तुमने नहीं

ईश्वर भी आज हो गया था, बेरहम उठा लिया

ऐसे क्या हालात थे कि ये कदम उठा लिया

ऐसा लग रहा है कि, विपन्न हो गए सभी

दुख में सारे डूब गए, सन्न हो गए सभी

रो रही धरा यहां है, रो रहा गगन यहां

आंसूओं से देश देता श्रद्धा के सुमन यहां

तुमको न भूलेंगे कभी ये कसम उठा लिया

ऐसे क्या हालात थे कि ये कदम उठा लिया

विक्रम कुमार

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