वेस्ट से बेस्ट
कुछ दिनों से सविता देख रही थी. सोसाइटी के पॉर्क में माली काम कर रहा था. बारिश में दूब बहुत बढ़ गई थी, वह उखाड़ता जा रहा था. बीच-बीच की दूब तो उसने उखाड़ ली, लेकिन किनारों पर उसने क्रिकेट की पिचें-सी बना दीं. एक बारिश पड़ते ही पूरा पॉर्क हरी-हरी दूब से पट गया. उसने ग्रास-कटर मशीन से कटिंग करके पॉर्क को मनमोहक रूप दे दिया. कुछ ही दिनों में वेस्ट से बेस्ट हो गया था.
माली के वेस्ट से बेस्ट से उसे नमन की याद आ गई.
नमन देखता था कि सिगरेट तो हानिकारक है ही, पर लोगों को इसकी चिंता नहीं है. वे बिना खौफ सिगरेट पर सिगरेट उड़ाते हैं और सिगरेट के वेस्ट बट को कहीं भी फेंक देते हैं.
इंजीनियरिंग कर रहे नमन को यह भी आभास था कि इस वेस्ट बट को डी-कंपोज होने में 10 साल तक का समय लग जाता है और तब तक धरती मां का बहुत नुकसान हो चुका होता है.
उसने कोई जुगत लड़ाने का निर्णय लिया और आनन-फानन काम शुरु कर दिया.
”बट के नीचे वाले हिस्से में पॉलीमर या फिर फाइबर मेटेरियल होता है.” चार महीने की रिसर्च करने पर निष्कर्ष निकाला.
”इसे रिसाइकल करके इनके बायोप्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं.” पता चलने पर नमन ने एक कंपनी बनाई और इसके जरिए बायोप्रोडक्ट बनाने में लग गए.
”हमारी कम्पनी फाइबर पिलो, कुशन, टैडी और की-चेन जैसे सभी प्रोडक्ट बनाती है और उनको ऑनलाइन बेचा जाता है.” नमन का कहना है.
”इस कंपनी में करीब 1000 लोग जुड़े हैं. 40 महिलाओं को भी रोजगार मिला है. मैं बहुत खुश हूं, कि खुद भी बिजनेस कर रहा हूं, औरों को भी काम दे रहा हूं और धरती मां को भी बचा रहा हूं.” नमन की खुशी का ठिकाना नहीं था.
वेस्ट से बेस्ट का उसका प्रयास रंग जो ला रहा था.
15 सितंबर, 2020
(राष्ट्रीय अभियन्ता दिवस पर विशेष)
27 साल के नमन नोएडा में रहते हैं। उन्होंने सिगरेट वेस्ट मैनेजमेंट और रिसाइकिलिंग पर काम किया। उन्होंने एक कंपनी बनाई हैं। यहां के अलग-अलग राज्यों से सिगरेट बट का कलेक्शन करके उसे रिसाइकिल करते हैं, इसके जरिए वे मॉस्किटो रिपलेंट, पिलो, कुशन, टेडी, की-चेन जैसे प्रोडक्ट बनाते हैं. मन अभी तक 300 मिलियन से ज्यादा सिगरेट बट रिसाइकिल कर चुके है.