कविता

सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 16

प्रस्तुत है लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर लौह पुरुष बनकर साहस से जीने की प्रेरणा देती हुई एक कविता

मैं आत्महंता नहीं बनूंगा

 

माना कि मैं तनावग्रस्त हूं,
तनावग्रस्त हूं, अभावग्रस्त भी हूं,
चिंताओं ने मुझे घेर रखा है,
अपमान का मैंने दंश चखा है,
मैं वीर जननी का जाया हूं,
मैं वीर बनने आया हूं,
आत्महत्या करके
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

जीवन सुख-दुःख का संगम है,
कोई स्थावर कोई जंगम है,
स्थावर स्थिर रहने में पीड़ित है,
जंगम को चलायमान होने का ग़म है,
मैं पीड़ा-ग़म से किंचित नहीं डरूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

असफलताएं आती हैं, आती रहें,
असफलताएं ही मुझे राह दिखाती रहें,
”असफलताओं से सफलता की राह मिलती है”,
आने वाली भावी पीढ़ियां मेरे लिए शान से कहें,
असफलता भी एडिसन बनाती है,
1,093 आविष्कारों को पेटेंट करवाती है,
मैं असफलताओं को निराश करके ही रहूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

इतिहास साक्षी है दुःख सबको दास बना देता है,
इस तरह खुद को ख़ास बना देता है,
लेकिन मैं उसको अपना दास बना लूंगा,
दुःख को भी नाकों चने चबवा दूंगा,
आएगा वह मेरी पनाह में शरण लेने,
मैं उसको शरण दूंगा, निराश नहीं करूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

माना कि गमों ने पाला मुझे,
मधु के बदले मिली हाला मुझे,
मत समझो कि मैं कोई कायर हूं,
अपने ही दुःख से कातर हूं,
मैं वीर भोग्या वसुंधरा का बेटा हूं,
बार अनेक शर-शैय्या पर लेटा हूं.
शर-धार को भौंथरा कर दूंगा
मैं मां के दूध का मान कम कैसे होने दूंगा?
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

प्यार में हार ने लैला मजनू को अमर बनाया,
शीरी-फरहाद को प्यार का मानक बनाया,
विफल अल्बर्ट आइंस्टीन ने हार न मानकर,
विशेष सापेक्षिकता का सिद्धांत सिखाया,
लियोनार्डो दा विंसी को मूर्तिकार-वास्तुशिल्पी बनाया,
“वॉल्ट” डिज़्नी से मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान करवाया,
मैं भी उनकी राह पर चलने का प्रयास करूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

-लीला तिवानी

मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.

मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.

मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

जय विजय की वेबसाइट है-
https://jayvijay.co/author/leelatewani/

 

चलते-चलते

आज शरद पूर्णिमा भी है. आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं-
शरद पूर्णिमा की रात वैज्ञानिक दृष्टि से भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। चन्द्रमा से निकलने वाली किरणों में विशेष प्रकार के लवण व विटामिन होते हैं। जब यह किरणें खाने-पीने की चीजों पर पड़ती हैं तो उनकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है।

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[email protected]

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 16

  • लीला तिवानी

    आप सभी को वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं-
    आज वाल्मीकि जयंती भी है. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की थी। उन्हें आदिकवि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के यहां माना जाता है। भृगु ऋषि इनके बड़े भाई थे।

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