ब्लॉग/परिचर्चा

अनमोल जानकारियों के शैदाई सुदर्शन भाई: परिणय दिवस की बधाई

सुदर्शन भाई, आपको परिणय दिवस की सालगिरह की बधाई. आप दोनों स्वस्थ रहें, समृद्ध रहें और शतायु हों. आपके परिवार में मंगल वातावरण बना रहे. आज आपकी वैवाहिक सालगिरह पर आपको और स्मृति जी सहित समस्त परिवार को ढेरों बधाइयाँ. आने वाला समय आपके लिए सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक हो, परिवार में मंगल वातावरण छाया रहे. ऐसी प्रभु से कामना है. छत्रछाया की तरह पूज्य माताजी राजरानी जी का आशीर्वाद बना रहे.

”यह शुभ दिन हर साल आता रहे,
आपके संग हमें भी हर्षाता रहे,
आनंद-ही-आनंद हो जीवन-बगिया में,
खुशियों का सूरज जगमगाता रहे.”

अब हम पाठकों से मुखातिब होते हैं. सुदर्शन भाई के बारे में जितना लिखा जाए कम है. सुदर्शन भाई पर हमारे अनेक ब्लॉग्स आ चुके हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
निराले विषयों के निराले युवा लेखक
उत्साह के फूल
चमकता सितारा (लघुकथा)
संयोग पर संयोग-5
मनोविज्ञान के चतुर चितेरे: सुदर्शन खन्ना
विशेषज्ञ सुदर्शन भाई: जन्मदिन की बधाई
फिर सदाबहार काव्यालय के अनेक एपिसोड
दिलखुश जुगलबंदी के अनेक एपिसोड
सालगिरह मुबारक ज्ञान के अंजन: भाई सुदर्शन

सबसे पहले हम सुदर्शन भाई के भारतीय सभ्यता व संस्कृति पर केवल दो शब्द लिखेंगे, बाकी आप सब लोग तो सब कुछ जानते ही हैं. सुदर्शन भाई ने ब्लॉग पर आते ही सादर प्रणाम और चरण स्पर्श की शुरुआत की तथा गुरमैल भाई को आदरणीय दादा जी कहना शुरु किया, वे भी आदरणीय दादा बन गए. उनको भी सादर प्रणाम और चरण स्पर्श की सौगात मिलने लगी.

सुदर्शन भाई की लेखनी की उत्कृष्टता के बारे में आप सब इतना उत्कृष्ट लिख चुके हैं, कि हम केवल अद्भुत भाषा, अद्भुत शैली, अद्भुत विचार, अद्भुत कथोपकथन, अद्भुत विषय और अद्भुत प्रस्तुति ही लिखेंगे. आशा है आप थोड़े को ज्यादा समझने की जहमत करेंगे. दिलखुश जुगलबंदी के प्रणेता, संयोग पर संयोग शृंखला के प्रणेता तो वे हैं ही, अभी हाल ही में उन्होंने हमारे ब्लॉग के कामेंट्स में हर दिन के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी देना शुरु किया है, जिससे हम सब बहुत लाभांवित होते रहे हैं. सुदर्शन भाई तो अद्भुत हैं ही, अपनी अद्भुत लेखनी के जरिए ही सुदर्शन भाई की झोली में अनेक पुरस्कार और अवॉर्ड आ सके हैं और आ रहे हैं.

सुदर्शन भाई की समाज-सेवा के बारे में आप सब अवगत हो चुके हैं. नेत्रदान और रक्तदान के अतिरिक वे अन्य अनेक सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं. सुदर्शन भाई ने ही हमसे नरिंदर वाही, गीता कुमारी, श्रुति (महेंदीरत्ता) चौधरी को मिलवाया था, जो हमारे सदाबहार काव्यालय की शान बन सके.

अब हम आज के विषय पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं. सुदर्शन भाई अनमोल जानकारियों के शैदाई हैं. वे हमें इतनी अनमोल जानकारियां देते रहते हैं, कि हम हैरान रह जाते हैं. इन जानकारियों के आधार पर हमारे अनेक ब्लॉग्स बन जाते हैं. मसलन भीगा-भीगा चांद (लघुकथा) सुदर्शन भाई द्वारा भेजे गए एक कामेंट में डॉ. एम. विश्वेश्वरैया के बारे में लिखे गए प्रसंग से ही सृजित हुई थी. सुदर्शन भाई की ये जानकारियां अक्सर ब्लॉग विषय से संबंधित और सटीक होती हैं, इससे इतर भी उन्हें जब-जहां से नई जानकारियां मिलती हैं, अपना अमूल्य समय निकालकर वे भेजते रहते हैं.

ब्लॉग ‘यादों के झरोखे से- 29’ में उन्होंने इतने अद्भुत गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स के बारे में लिख भेजा है, कि पढ़ते ही रह जाते हैं. ब्लॉग ‘अश्विनी भाई: जन्मदिन की बधाई’ में सुदर्शन भाई ने इतनी अद्भुत जानकारियां भेजीं, कि जब तक हमने ब्लॉग खोलकर कामेंट्स देखे 2-3 लोग उन कामेंट्स को लाइक भी कर चुके थे. अब प्रस्तुत हैं कामेंट्स में लिखी गई सुदर्शन भाई के द्वारा कुछ अद्भुत नई जानकारियां-

ऐसी प्रतिक्रिया शायद ही कभी देखी होगी! ध्यान से पढ़िएगा-
1.निरन्तरान्धकारित-दिगन्तर-कन्दलदमन्द-सुधारस-बिन्दु-सान्द्रतर-घनाघन-वृन्द-सन्देहकर-स्यन्दमान-मकरन्द-बिन्दु-बन्धुरतर-माकन्द-तरु-कुल-तल्प-कल्प-मृदुल-सिकता-जाल-जटिल-मूल-तल-मरुवक-मिलदलघु-लघु-लय-कलित-रमणीय-पानीय-शालिका-बालिका-करार-विन्द-गलन्तिका-गलदेला-लवङ्ग-पाटल-घनसार-कस्तूरिकातिसौरभ-मेदुर-लघुतर-मधुर-शीतलतर-सलिलधारा-निराकरिष्णु-तदीय-विमल-विलोचन-मयूख-रेखापसारित-पिपासायास-पथिक-लोकान्//उपरोक्त रचना संस्कृत का सबसे बड़ा संयुक्त शब्द है। इस शब्द में कांची के आसपास का वर्णन 195 अक्षरों में किया गया है। इसलिए इसे संसार का सबसे बड़ा शब्द कहा जा सकता है। यह सोलहवीं सदी का बताया जाता है और इसका श्रेय विजयनगर की महारानी तिरुमलाम्बा को दिया जाता है।आत्मप्रजानंदअंग्रेजी भाषा का सबसे बड़ा शब्द 45 वर्णों का है the longest word in the english language is 45 letters long: pneumonoultramicroscopicsilicovolcanoconiosis(is a disease of the lungs, allegedly caused by inhaling microscopic silicate particles originating from eruption of a volcano. another word for it is silicosis.)

2.दाल पकवान सिंधी नाश्ता है ।यह काफी हट के ,सिंपल और लाजवाब होता है।यह दिन भर की ऊर्जा के लिये प्रोटीन और फैट का भी संतुलित सोर्स है।

3.सम्बन्ध और जल एक समान होते है न कोई रंग, न कोई रूप-फिर भी जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण.

4.उन्माद, प्रमाद तथा विवाद से दूर रहें और ‘संवाद’ की ओर बढ़ें, अन्यथा व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र ‘अन्धा’ हो जायेगा।

5.सुन लेने से” 🌳🌳कितने सारे सवाल सुलझ जाते हैं,
🏝लेकिन “🌻सुना देने से” 🌿🌿हम फिर से वहीं उलझ जाते हैं!!!

6.भोपाल में एक शख्स अपने सहयोगियों के साथ सालों से एक मिशन में लगे हैं पिंजरे में बंद पंछी को खुला आसमान देना. इसके लिये कहीं शिकायत नहीं करते बल्कि उन घरों में जाते हैं, लोगों को समझाते हैं. भोपाल में पेशे से व्यवसायी धर्मेंद्र बीते 20 साल से तोतों को पिंजरों से मुक्ति दिलाने के काम में लगे हैं. वे इसके लिए मिशन पंख चला रहे हैं और इसके जरिए अब तक 20 हजार से ज्यादा तोतों को पिंजरे से आजादी दिला चुके हैं.

7.देश के लिए वरदान – लालबहादुर शास्त्री जी –
जब लालबहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे तब वह एक बार कपड़े की दुकान में साड़ियां खरीदने गए। दुकान मालिक शास्त्री जी को देखकर बहुत खुश हुआ। शास्त्री जी ने दुकानदार से कहा कि वे जल्दी में हैं और उन्हें चार-पांच साड़ियां चाहिए।दुकान का मैनेजर शास्त्री जी को एक से बढ़ कर एक साड़ियां दिखाने लगा। सभी कीमती साडि़यां थीं। शास्त्री जी बोले- भाई, मुझे इतनी महंगी साड़ियां नहीं चाहिए। कम कीमत वाली दिखाओ।इस पर मैनेजर ने कहा- सर आप इन्हें अपना ही समझिए, दाम की तो कोई बात ही नहीं है। यह तो हम सबका सौभाग्य है कि आप पधारे।शास्त्री जी उसका आशय समझ गए। उन्होंने कहा- आपको साड़ी की कीमत लेनी होगी। मैं जो तुम से कह रहा हूं उस पर ध्यान दो और मुझे कम कीमत की साड़ियां ही दिखाओ और उनकी कीमत बताते जाओ। तब मैनेजर ने शास्त्री जी को थोड़ी सस्ती साड़ियां दिखानी शुरू कीं।शास्त्री जी ने कहा-ये भी मेरे लिए महंगी ही हैं। और कम कीमत की दिखाओ। मैनेजर को एकदम सस्ती साड़ी दिखाने में संकोच हो रहा था। शास्त्री जी इसे भांप गए। उन्होंने कहा- दुकान में जो सबसे सस्ती साड़ियां हों, वह दिखाओ। मुझे वही चाहिए।आखिरकार मैनेजर ने उनके मनमुताबिक साड़ियां निकालीं। शास्त्री जी ने उनमें से कुछ चुन लीं और उनकी कीमत अदा कर चले गए। उनके जाने के बाद बड़ी देर तक दुकान के कर्मचारी और वहां मौजूद कुछ ग्राहक शास्त्री जी की सादगी की चर्चा करते रहे। वे उनके प्रति श्रद्धा से भर उठे थे।सादगी आपके चरित्र के साथ आपके व्यवहार में होनी चाहिए। दिखावा वही करते हैं जिन्होंने पहली बार वह वस्तु देखी हो । इसी बात को दर्शाती एक कहावत भी है कि अधजल गगरी छलकत जाए।

8.गोपाल भांड-
यह उन दिनों की कथा है, जब गोपाल भांड बंगाल के राजदरबार के एक प्रमुख सदस्य थे। अपने विनोदी स्वभाव से न केवल वह सबका मनोरंजन करते थे बल्कि कई गुत्थियां भी हंसते-हंसते सुलझा देते थे। बंगाल के राजा का उन्हें स्नेह प्राप्त था। राजा उन्हें हर तरह से प्रोत्साहन भी दिया करते थे।एक बार राजसभा में एक पंडित पधारे। वह कहीं दूर से आए थे। वे भारत की अधिकांश प्रचलित भाषाएं, यहां तक कि संस्कृत, अरबी, फारसी भी धाराप्रवाह बोल सकते थे। उनका खूब स्वागत- सत्कार किया गया। आते ही उन्होंने अपने भाषा ज्ञान की डींग हांकी। किसी ने पूछा कि उनकी मातृभाषा क्या है तो उन्होंने चुनौती देने के अंदाज में कहा कि वे इसका पता लगाकर दिखाएं।दरबार में उपस्थित पंडित और दूसरे लोग सन्न रह गए। उन्होंने गोपाल भांड की ओर देखा। गोपाल बोले, ‘मैं तो भाषाओं का जानकार नहीं, पर मैं यह पता लगा सकता हूं कि उस पंडित की मातृभाषा क्या हैं ? पर शर्त यह है कि मुझे अपने तरीके से पता लगाने की अनुमति दी जाए।’ दरबारियों के कहने पर राजा ने गोपाल भांड को इसकी अनुमति दे दी।अगले दिन सब लोग सीढ़ियों से उतर रहे थे। वह पंडित जी भी थे। अचानक गोपाल ने पंडित जी को जोरों का धक्का दिया। धक्का लगते ही वह अपनी मातृभाषा में गाली देते हुए नीचे आ पहुंचे। वहां मौजूद सारे लोगों को उनकी मातृभाषा का पता लग गया। लोगों ने गोपाल भांड को शाबाशी दी। गोपाल ने कहा, ‘देखिए,तोते को आप राम-राम और राधेश्याम सिखाया करते हैं, वह भी हमेशा राम नाम सुनाया करता है। किन्तु जब बिल्ली आकर उसे दबोचना चाहती है, उसके मुंह से टें-टें के सिवाय और कुछ नहीं निकलता। आराम के समय सब भाषाएं चल जाती हैं, पर संकट में मातृभाषा ही काम देती है।

सुदर्शन भाई, आज परिणय दिवस पर आपको असीमित शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए हमारे हर्ष की कोई सीमा नहीं है. हम ईश्वर से आप दोनों के सुखमय, समृद्धिशाली और खुशहाल पारिवारिक जीवन की कामना करते हैं. आप स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें, शतायु हों.

आज बस इतना ही, शेष बातें कामेंट्स में हमारे पाठक और कामेंटेटर्स की जुबानी.
सुदर्शन भाई का ब्लॉग-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/sudershan-navyug/

जय विजय में सुदर्शन भाई का ब्लॉग-
https://jayvijay.co/author/sudarshankhanna/

इस ब्लॉग की संख्या 2777-
अंकों के जादूगर सुदर्शन भाई, आपको विवाह की सालगिरह पर तीन सतियों की ट्रेल का उपहार
पहले भी आपके नाम एक ब्लॉग है-
333वें ब्लॉग की बधाई: अंकों के जादूगर सुदर्शन भाई

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “अनमोल जानकारियों के शैदाई सुदर्शन भाई: परिणय दिवस की बधाई

  • लीला तिवानी

    सौभाग्यवती स्मृति जी और चिरंजीव श्री सुदर्शन खन्ना हमारी शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए.पश्येम शरदः शतम्जीवेम शरदः शतम्बुध्येम शरदः शतम्रोहेम शरदः शतम्पूषेम शरदः शतम्भवेम शरदः शतम्भूयेम शरदः शतम्भूयसीः शरदः शतात्सदैव प्रसन्न और स्वस्थ रहिए और पूजनीय माताजी के द्वारा लगाये हुए ज्ञान के अंजन से हम सबके ज्ञान के दीप प्रकाशित करते रहिए. यह हमारी मनोकामना भी है और आशीर्वाद भी.

  • लीला तिवानी

    कुछ रिश्ते ख़ास होते हैं,
    वो दिल के पास होते हैं,
    वो ही तो सब अपने हैं,
    जो इंद्रधनुषी रंगों की सौग़ात बांटते हैं.

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