कविता

उपहार

हमें जो मिला है
ये मानव शरीर
इस पर गर्व कीजिए,
इसे ईश्वर से मिला
खूबसूरत उपहार समझिए ।
उपहार मिलने पर
जैसे हम नाचते गाते हैं
फिर संसार के
इस सबसे बड़े उपहार का
उल्लास मनाने में
भला क्यों शरमाते हैं?
चार दिन की जिंदगी का
खुलकर आनंद उठाइए
हँसते नाचते गाते हुए
जिंदगी का उत्सव मनाइए,
संसार उत्सवों से भरा पड़ा है
यही सबको समझाइए।
हर किसी को ये बात
खुलकर समझाइए,
जीवन उत्सव मनाइये
खुश रहिए खुशियाँ बाँटिए
हँसते,नाचते, गाते रहिए
खुशियों के साथ उल्लासित
जीवन बिताइए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921