कौन है ‘ममता बनर्जी’ ?
पश्चिम बंगाल परिणाम ‘मोदी शैली’ के लिए चुनौती अर्थात पाँच राज्यों के चुनाव परिणामों में असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के परिणाम प्रत्याशित है, क्योंकि असम और पुडुचेरी में एनडीए प्रत्याशित था, तो केरल में वाममोर्चा अंगद का पाँव की भांति जमे हैं, वहीं तमिलनाडु में सत्ता परिवर्तन तय थी।
सत्ता परिवर्तन तो पश्चिम बंगाल में भी तय थी, किन्तु यह मानना पड़ेगा कि ममता दीदी की स्वच्छ, ईमानदार और बांग्ला संस्कृतिनिष्ठ छवि बंगालियों के लिए दूसरे विकल्प की ओर नहीं धकेले। वैसे नंदीग्राम में उनकी व्यक्तिगत हार ‘सुवेन्दु’ का अपने क्षेत्र में कर्मठतावाली छवि लिए है।
वहीं यह जताना जरूरी है कि अब श्रीमान नरेंद्र मोदी और श्रीमान अमित शाह को ‘सबकुछ पाना आसान है’ कहकर अहंकार छवि से बाहर आकर ही भाजपा को सम्पूर्ण भारत में स्थापित किया जा सकता है यानी मोदी शैली या शाह शैली में अब तो विनम्रता चाहिए ही। वैसे भाजपा द्वारा बंगाल चुनाव में आक्रामक छवि उनके लिए घाटा रहा, सिर्फ सत्ता पाने के लिए ही, अन्यथा भाजपा ने इस चुनाव में दूसरा स्थान पाकर आनेवाले कल के लिए आगाज़ कर चुके हैं।
बगैर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बने भी मंत्री या मुख्यमंत्री बना जा सकता है, किन्तु शपथ लेने के छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी होता है। भारतीय संविधान के अनुसार, मुख्यमंत्री पद की शपथ विधायक या विधान पार्षद रहते बिना भी ली जा सकती है, बशर्ते सीएम को दोनों सदन में किसी एक सदन का छह महीने के अंदर सदस्य बनने पड़ेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।
अमर उजाला के अनुसार, पश्चिम बंगाल का चुनावी संग्राम अब थम गया है। बंगाल विधानसभा चुनाव में ‘खेला’ हो गया। भाजपा की सारी रणनीति धरी रह गई और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर बहुमत से सत्ता में वापसी कर ली। बंगाल की जीत को लेकर खीर में नमक आने से जैसी स्थिति उस वक्त बन गई, जब पता चला कि पार्टी जीत गई, लेकिन टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गई, बावजूद सुश्री बनर्जी तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने जा रही है। हालाँकि आन में आकर उन्होंने अपनी परम्परागत भवानीपुर विधान सभा क्षेत्र को छोड़कर नंदीग्राम विस क्षेत्र से उम्मीदवार बनी और हर गई।
विकिपीडिया के अनुसार, ममता बनर्जी का जन्म पुरानी कलकत्ता (कोलकाता) में गायत्री बनर्जी (माँ) एवं प्रोमलेश्वर बनर्जी (पिता) के यहाँ हुआ। उनके पिता की मृत्यु उपचार के अभाव में हो गई थी, उस समय ममता बनर्जी मात्र 27 वर्ष की थी। ममता बनर्जी को ‘दीदी’ के नाम से भी जाना जाता है। वह पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमन्त्री हैं। उन्होंने बसन्ती देवी कॉलेज से स्नातक पूरा किया एवं जोगेश चन्द्र चौधरी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2018 मे उन्होंने दुर्गा पूजा पर आधारित अपने संगीत एलबम ‘रौद्रर छाया ‘ के लिए सात गीत कम्पोज किए हैं। वे अविवाहित हैं।
तो वहीं वन इंडिया के अनुसार, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। उनका जन्म कोलकाता में एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ। कॉलेज से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। 1984 में जाधवपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतकर वे अपनी युवावस्था में कांग्रेस में शामिल हो गईं, उसी सीट को 1989 में उन्होंने खो दिया था और 1991 में फिर से जीत हासिल की। 2009 के आम चुनावों तक उन्होंने सीट को बरकरार रखा। उन्होंने 1997 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और दो बार रेल मंत्री बनीं। एनडीए और यूपीए दोनों के साथ गठजोड़ के बाद नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलनों के दौरान बनर्जी की प्रमुखता और भी बढ़ गई। वे 2011, 2016 और 2021 में भी अधिक बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री चुनी गई। भले ही तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने को लेकर विधायक नहीं हैं।