वक़्त की नजाकत
भुला गम ज़िन्दगी को नए सिरे से जीना सीखो
देख वक़्त की नजाकत खुद को बदलना सीखो
मिटा दिल की गहराईयों से नाम उस बेवफा का
पलट कदम, नयी राह पर तुम चलना सीखो
दे मीठी कशिश, दिखाता ख्वाब अपना बनाने के
सब भुला, आँखों के आँसू को तुम पीना सीखो
हटा उदासी के बादल, गम को कर दरकिनार
थाम ख़ुशी का दामन, किस्मत को बदलना सीखो
ख्यालों में आ दस्तक देता रहा वक़्त वे वक़्त
बिखरने से पहले अहसासों को समेटना सीखो ।
अच्छी गजल, गुंजन जी.