राजनीति

राजनीति का केंद्रबिंदु बनती अयोध्या

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है और आगमी विधानसभा चुनावों के लिए सभी दलों ने अयोध्या को ही अपनी राजनीति का केंद्रबिदु बना लिया है। जो दल कभी हिंदुओं के आराध्य भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े करते थे, अब वे लोग भी भगवान राम के दरबार अपना माथा टेक रहे हैं और अपने आपको हिंदू कह रहे हैं। नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद हिंदुत्व की यही सबसे बड़ी जीत है, लेकिन अभी भी अंतिम और पूर्ण विजय का लक्ष्य शेष है।
आज प्रदेश का हर बड़ा राजनैतिक दल अयोध्या से ही अपने राजनैतिक अभियान का श्रीगणेश कर रहा है। चाहे वह सपा, बसपा हो या फिर प्रदेश की राजनीति में अपने लिए जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी हो। सभी दल और उनके नेता प्रभु राम की दरबार में अपनी हाजिरी दे रहे हैं। यही हिंदुत्व की विजय है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने अयोध्या में हनुमानगढ़ी में दर्शन किया। उसके बाद उन्होंने अयोध्या में न सिर्फ तिरंगा यात्रा निकाली, बल्कि सरयू किनारे फोटो ट्वीट कर रामलला और मां सरयू से आशीर्वाद लेकर यूपी के लिए संकल्प की बात कही। ये वही लोग हैं जो लोग 2018 में अयोध्या में एक यूनिवर्सिटी बनाने की बात कह रहे थे और इन्हीं लोगों ने कहा था कि जो यूनिवर्सिटी बने उसमें विदेशी छात्रों को प्रवेश दिया जाये। ये वही आम आदमी पार्टी है जिनके नेता सेमिनारों में जाकर अयोध्या व हिंदू धर्मो के आस्था के केंद्रों का जमकर मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि अयोध्या में शौचालय बना दिया जाये। तिरंगा यात्रा निकालने के बाद आप नेताओं ने बीजेपी सरकार को जमकर कोसा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की तुलना रामराज्य की अवधारणा से कर डाली। पूरे देश का जनमानस अच्छी तरह से देख रहा है कि दिल्ली में किस प्रकार का रामराज्य चल रहा है। यह प्रदेश के बहुसंख्यक जनमानस को बहुत बड़ा धोखा देने की तैयारी है। वास्तव में आम आदमी पार्टी की नजर अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण में जो धन एकत्र किया गया है उस पर है और वह किसी न किसी प्रकार से मंदिर निर्माण रुकवाना चाहेगी।
वहीं अब बात समाजवादी पार्टी ओैर बसपा की। समाजवादी पार्टी और बसपा कभी भी मंदिर के समर्थन में खुलकर नहीं बोले, अपितु वह अपने हर चुनाव प्रचार में अयोध्या में प्रभु श्रीराम के स्थल को बाबरी मस्जिद कहकर ही बुलाते थे और ये दल हर चुनाव में मुस्लिम समाज से अयोध्या में बाबरी मस्जिद के निर्माण की उनकी मांग का समर्थन करते थे। बाबरी ढांचा विध्वंस और मंदिर निर्माण शुरू हो जाने के बाद अब उनके पास कुछ नहीं रह गया है। अब ये दल मुसलमानों को किस प्रकार से अपनी ओर आकर्षित करेंगे। यही कारण है कि अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अयोध्या में कई कार्यक्रम कर चुके हैं, जिसमें वह कई अयोध्या के विकास के लिए बहुत सारे दावे व वायदे भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सरकार आने पर अयोध्या नगर निगम को पूरी तरह से टैक्स फ्री कर दिया जायेगा ताकि अयोध्या के वासी हर दीपावली को बहुत ही भव्यतम बना सके। वे कहते फिर रहे हैं कि अयोध्या में आज जो भी विकास हो रहा है उसकी संकल्पना उनकी सरकार में पहले ही हो चुकी थी। बीजेपी कभी अयोध्या का विकास नहीं करेगी सपा ही अयोध्या का विकास करेगी।
समाजवादी पार्टी के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि जब उनके पिता मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अयोध्या में विवादित स्थल की सुरक्षा के लिए निहत्थे रामभक्तों पर गोलियां बरसाकर निर्मम हत्याएँ करवायीं और फिर अपने आपको सबसे बड़ा मुस्लिम हितैषी बताकर अपनी राजनीति चमकायी। आज वही बात सपा के लिए सबसे बड़ा संकट है। अगर आज सपा अयोध्या पर कोई बयान देती है तो बीजेपी व समस्त संत समाज मुलायम सिंह के जख्मों को फिर से तरोताजा कर देता है। अभी जब रामभक्त कल्याण सिंह का देहावसान हुआ तब किसी राजनैतिक दल ने उनके निधन पर शोक नहीं व्यक्त किया। यह समाजवादी दल की मानसिक विकृति और उनके अयोध्या प्रेम का असली सत्य है जो उजागर हो जाता है।
रही बात बसपा की तो उसे अपना खोया हुआ जनाधार ही प्राप्त करना है। बसपा के लिए 2022 का चुनाव उसके लिए जीवन-मरण का बन गया है। बसपा के संस्थापक कांशीराम तो मूर्ति पूजा आदि के घोर विरोधी थे वह भी अयोध्या के विवादित स्थल को शौचालय बनवाना चाहते थे। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसला आने के पहले बसपानेत्री मायावती भी विवादित स्थल को सदा बाबरी मस्जिद ही कहा करती थीं और 2012-17 में एक बुकलेट भी प्रकाशित करवायी थी। लेकिन आज उसी बसपा के कार्यक्रमों में हिंदू जनमानस विशेषकर ब्राह्मण समाज के वोट पाने के लिए जय श्रीराम के नारे लगाये जा रहे हैं। सबसे बड़़ी बात यह है कि बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा तो अयोध्या गये, लेकिन अभी तक बसपा नेत्री मायावती अयोध्या नहीं गयी है और न ही सपा मुखिया अखिलेश यादव अयोध्या गये हैं। आने वाले दिनों में कांग्रेस का भी अयोध्या में बडा कार्यक्रम होने जा रहा है।
यह वही अयोध्या है जिसने बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहंुचा दिया है। ढांचा विध्वंस से लेकर अब तक अयोध्या के लिए सड़क से संसद और न्यायपालिका तक केवल बीजेपी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने ही संघर्ष किया और पुलिस की लाठी-गोली खायी है। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही सबसे अधिक अयोध्या की यात्रा की है। बीजेपी सरकार में ही अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन हो रहा है तथा हर दीपावली दीये जलाने का नया रिकार्ड बन रहा है। इस बार अयोध्या में 7.50 लाख से भी अधिक दीये जलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अबकी बार अयोध्या दीपोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति होने जा रही है जहां पर वह जनसभा को भी संबोधित करेंगे।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के बाद श्रीराम मंदिर तक जाने वाली सड़क का नामकरण कल्याण सिंह के नाम पर किया गया। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी अयोध्या दौरा हो चुका है। भूमि पूजन के दौरान जब राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया था तब आम आदमी पार्टी सहित सभी दलों ने जातिगत आधार पर अपमान बताकर हमला बोला था। अब यह मुद्दा भी इन लोगों के हाथ से निकल चुका है। 5 अगस्त 2019 को अन्न महोत्सव की शुरूआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से ही की और मीडिया जगत मेें यह भी हल्ला मचा कि मुख्यमंत्री योगी स्वयं अयोध्या की किसी सीट से चुनाव लडं़ेगे। दीपोत्सव व भव्य रामलीला के आयोजन के बाद बीजेपी अयोध्या व हिंदुत्व के लिए कई और बड़े ऐलान कर सकती है। आज भाजपा विरोधी दलों के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। प्रदेश के हिंदू जनमानस को अच्छी तरह से याद रहना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो कभी अयोध्या को अछूत मानते थे। यह लोग अयोध्या में सुप्रीम फैसले को लटकाये रहना चाहते थे।
आज अयोध्या, मथुरा व काशी का विकास हो रहा है तथा विकास के नये प्रतिमान गढ़े जा रहे हैं। अयोध्या अब दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थक्षेत्र बनने जा रहा है। काशी, मथुरा सहित प्रदेश के सभी हिंदू तीर्थस्थलों का भव्य विकास हो रहा है। सपा, बसपा, कांग्रेस सहित सभी को अंदर ही अंदर यह यह बात खाये जा रही है। यही लोग पहले योगी जी और मोदी जी से सवाल किया करते थे कि रामलला हम आयेेंगे, मंदिर कब बनायेंगे, लेकिन अब रामलला आयेंगे, क्योंकि उनका भव्य मंदिर बहुत तेजी से आकार ले रहा है। उतनी ही तेजी से राम विरोधी दलों व नेताओं के दिमाग में छुरी चल रही है। राम मंदिर निर्माण की पहली झलक व दर्शन 2023 में हो जायेंगे जबकि 2024 तक रामकाज पूर्ण जायेगा।
राम विरोधी दल बहुत ही छटपटा रहे हैं। यह दल अपना रंग और व्यवहार बदल रहे हैं। ये दल सकारात्मक भाव से अयोध्या नहीं जा रहे, अपितु अपनी राजनीति चमकाने के लिए व हिंदू जनमानस को धोखा देने के लिए ही अयोध्या जा रहे हैं। ये सभी दल नकारात्मक प्रवृति वाले अराजक तत्व हैं। एआईएमएएम नेता असदुददीन ओवैसी ने जब अयोध्या का दौरा किया तब उन्हाने अपना रंग दिखा दिया और अपने पोस्टर में अयोध्या को फैजाबाद दिखाकर अपनी मानसिक विकृति को उजागर कर दिया। हिंदू जनमानस को ऐसे विकृत राजनैतिक दलों से बहुत ही सावधान रहना है। सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी ऐसे पंछी हैं जो उगी हुई फसलों व पड़े हुए दानों को उठाने के लिए आकाश में विचरण करने के लिए आ जाते हैं। अभी कोरोना काल में भी यही दल अपने कमरों में अंदर कोने में छिपे बैठे थे लेकिन अब अपने बिलों से निकल रहे हैं।
सभी राजनैतिक दलों को यह अच्छी तरह से पता है कि हर परिवार की आस्था का केंद्र राम और अयोध्या है। सभी दलों के लिए अयोध्या बहुसंख्यक वर्ग से जुड़ने का एक जरिया बन गया है। कोई भी दल अब यदि उप्र की राजनीति में जीवित रहना चाहता है, तो उसे रामभक्त बनना ही पडेगा और यदि किसी दल ने विरोध कर दिया तो उसका सफाया ही हो जायेगा यह सभी दल जान गये हैं। वैसे भी अब राम विरोधी दलों के पास कुछ नहीं बचा है।

— मृत्युंजय दीक्षित