गीतिका/ग़ज़ल

जायदाद

वो ज़र्रे ज़र्रे किसी बख़्त की तरह
रहा संजोये मुझे वक़्त की तरह
जो राह-राह रही धूप की तपिश
वो सायेदार से दरख़्त की तरह
है दिल भी किसी हद की अना पे
और जुनूनी भी दर-ओ-बस्त की तरह
दिल जो टूटा तो नुक्ताचीनी सी रही
और बिखरा भी लख़्त-लख़्त की तरह
“गीत” अपने भी किसी जायदाद से
और ये दीवान किसी तख़्त की तरह
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी