व्यंग- जनता के लिये सुख का त्याग
रात के 9:00 बज रहे थे कि अचानक एक शख्स का आगमन हुआ,,,, वो मेरे पैर में झुककर साक्षात दंडवत प्रणाम किया।
मै बोला” अरे भाई आपको पहचाना नही
तभी उसके समर्थक बोले”अरे आपके ही क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक मनसुख भाई हैं।
अरे विधायक जी मगर इनके मुख के आभामंडल पर सुर्य की चमक होती थी,इनकी दशा कोयले की खदान से निकले मजदूर की तरह हो गई हैं।
तभी मनसुख भाई खी खी खी करते हुये बोले”अरे भाई साहब बहुत बड़े मजाकिया हो,अच्छा मजाक कर लेते फिलहाल वोट हमे ही देना।
कहकर आगे पड़ोस की तरफ निकल लिये।
उनके एक समर्थक ने बताया कि साहब कोयले जैसे काले क्यो ना हो जायेगे जो व्यक्ति 24 घंटे एयरकंडीशन में रहे, बाहर के धूप-छाँव से सामना ना हो। बिना मेकअप किये जनता के बीच ना जाये फिर वो फीका दिखेगा ही ना।
मुझे बहुत दुख: हुआ कि ये लोकतंत्र इन सुस्त अजगरों को रेस में लगा देता हैं। फिलहाल एक बात की खुशी हैं की चलो अपनी समस्त सुख को त्याग कर जनता के सेवा के लिये जनता के बीच 2 महीने से लगे हैं। फिर अगले 5 साल वही कहानी जो अभी लोगो को सपना दिखा रहे हैं।।
— अभिषेक राज शर्मा