मन का मन से मिलन है होली
होली रंगों का त्यौहार,
सजीली खुशियों का त्यौहार,
लाल-गुलाबी-नीला-पीला
रंगों की ले आया बहार.
फागुन का महीना आया,
खुशियों की सौगातें लाया,
मौसम ने ली है अंगड़ाई,
आनंद से तन-मन हर्षाया.
फूलों से बगिया झूम रही है,
धरती गगन को चूम रही है,
खुश हो रंगरंगीली तितली,
रंग छितराती घूम रही है.
गिले शिकवों को दूर भगाने,
वैर भाव को जड़ से हटाने,
होली का त्योहार है आता,
भूले-बिसरों से मिलने-मिलाने.
प्रेम-रंग से सबको रंग दो,
खुशियों से निज झोली भर लो,
प्रेम करोगे प्रेम मिलेगा,
यह संदेश प्रसारित कर दो.
आओ सखियो राधा आई,
मोहन ने बांसुरी बजाई,
खेलो होली रंग लगाओ,
आई मंगल वेला आई.
प्यार से होली हम खेलेंगे,
स्नेह-प्रेम से मन रंग देंगे,
मन का मन से मिलन है होली,
यह संदेशा जग को देंगे.
आदरणीय लीला दीदी, सादर प्रणाम। आया आया होली का प्रेम पर्व आया। मिटा दो सारे गीले शिकवे, प्रेम-रंग रंग जाओ सारे। बहुत सुन्दर मनभावन रचना। प्रेम-रंग से सबको रंग दो,
खुशियों से निज झोली भर लो…सुन्दर सन्देश। सादर .
चंचल जी, रचना को आप जैसी महान कवयित्री का आशीर्वाद मिलना हमारी सौभाग्य है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन.