गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – तेरी सूरत तेरी यादें

मानस तेरी सूरत तेरी यादें लिखता है ।
तुम कहती हो.., वो गजलें लिखता है ।।
वादा करके न आना कितनी होगी बेरहम,
दिल बेसबरा आने की तारीखें लिखता है ।
तुमको यकीं हो न हो तुम बहुत खूबसूरत हो,
खुदा भी खत में तुम्हारी ही तारीफें लिखता है ।
निगाहें झुकी झुकी जुबां ख़ामोश है तेरी,
ये दिल ख़ामोश जुबां की लफ्जे लिखता है ।
याद करो ज़रा उस सावन की बुंदों में भींगना,
ये जनाब बीते हुए मिलन की लम्हें लिखता है।
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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