/ मनुष्यों की दुनिया में /
खाना पहले उनको दो
जो सड़कों में, गलियों में
भीख माँगते नज़र आते हैं
असहाय अवस्था को पारकर
आगे बढ़ने में असफल हैं
पराजित हैं वे अपने जीवन में
आघात हुई है उनके मन पर
देह की सुधा भी खो बैठे हैं
पागल बनकर निकले हैं
उनके लिए न मकान होता है
और न कोई मंजिल,
चौराहे पर, किसी पेड़ के नीचे
या किसी मंदिर की सीढ़ियों पर
अपनी जिंदगी काट देते हैं
नहीं है उनके पास दुपट्टा
सर्दी, गर्मी का भेद नहीं
रात हो या दिन इसकी सुध नहीं,
सामाजिक गतिविधियों की परवाह नहीं
कुत्तों – जानवरों के बीच, फर्श पर
धूलि – धूसरित, मट – मैले नज़र आते हैं
इलाज़ हों उनका, स्वस्थ हो जाएँ
इंसान की अवस्था फिर से
उनके जीवन में आ जाएँ,
योजना हो हमारी तो पहला उनका हो
असहाय लोगों का सहारा हो
वर्ण-वर्ग, धर्म, जाति परंपरा को पारकर
हरेक में असलियत का विकास हो
स्वीकार करें एक दूसरे का
प्रेम, भाईचारे का आचार हो
परस्पर सहयोग, सहकार हो आपस में
संकुचित भावजाल से मुक्ति
मानव मूल्यों की उन्नति हो
मनुष्यों के इस दुनिया में ।