लघुकथा

व्यापार या व्यवहार बनाम Trade or Trend

पांच दिन आइ.सी.यू. में रहने के बाद शेफाली 15 दिन बाद पार्क में सैर करने आई थी.
सामने से आइ.सी.यू. वाले डॉक्टर विनोद को आता देखकर उसने उनसे एक सवाल पूछने का मन बना लिया.
” डॉक्टर साहब, क्या मैं इतनी बीमार थी, कि मुझे पांच दिन आइ.सी.यू. में रहना पड़ा? आप तो जानते ही हैं कि मैं वहां दूसरे दिन से ही कीर्तन करने लग गई थी. बहुत-से अन्य रोगी और नर्सेज भी कीर्तन में शामिल होकर खुश होते थे!” एक ही सांस में शेफाली बोल गई.
“अब आप कैसी हैं?” डॉक्टर साहब प्रश्न को टालने के मूड में थे.
शेफाली जानती थी कि उसके पास सी.जी.एच.एस. का कॉर्ड था, यानी सारा खर्चा सरकार का. ऊपर से सी.जी.एच.एस. ने दो दिन पहले ही डॉक्टर्स के देखने की फीस 150 से 350 रुपये कर दी थी. इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि दिन में दो बार देखने के बहाने 700 रुपये उनकी अपनी जेब में!
“मैं ठीक हूं डॉक्टर साहब, कृपया आप मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए.
“दो दिन बीमार के होते हैं, तो तीन दिन डॉक्टर के भी.”
ऐसे जवाब की उसे कतई आशा नहीं थी. शेफाली विनोद जी के सपाट चेहरे को देखने लगी.
यह डॉक्टर्स का “व्यापार था या व्यवहार बनाम Trade or Trend!” वह सोचती ही रह गई!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244