कविता

मानव माटी का पुतला है

पंच तत्व से मानव बना है
मानव माटी का पुतला है
फिर भी हमको अभिमान है
माटी ही हमारा बसेरा है
मरकर भेष बदल जाता है
जीवन का विघटन हो जाता है
लाख चौरासी कर्म से निकलकर
मानव जीवन हमको मिलता है
आत्मा अमर और अजर है
प्राण तत्व जड़ चेतन है
रूप बदलता मानव का है
जीवन धारा निरन्तर चलती है
कर्म अनुसार फल मिलता है
देह मानव की स्थूल है
कर्म का चक्र चलता रहता
नरक ,स्वर्ग सब भोगते है
मिला मानव जीवन हमको
उच्च कर्म करके जाना है
मोह ,माया को छोड़ना है
सब मिट्टी में मिल जाना है
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश