कविता

अजी सुनते हो

अजी सुनते हो ,

आवाज दे रही हूँ ,

अजी सुनते हो।

तुमने सुना?

मैंने क्या कहा-

अजी सुनते हो।

कोई प्रतिक्रिया नहीं,

कानों से टकराकर

प्रतिध्वनि कानों तक पहुंची।

प्रतिक्रिया-दर- प्रतिक्रिया होती गई,

एक दिन आवाज आनी बंद हो गई।

खामोशी अब बोल रही

और कलम सुन रही,

अजी सुनती हो।

— राजश्री राज

राजश्री राज

पिता का नाम - स्व. श्री प्रेमशंकर प्रसाद माता का नाम - स्व. श्रीमती गायत्री देवी पति का नाम - श्री राम जन्म प्रसाद शिक्षा - बी.एस.सी. आॕनर्स (जूलाॕजी) व्यवसाय - रन प्ले स्कूल अभिरुचि - लेखन के साथ-साथ पेंटिंग और प्ले सींथेसाइजर प्रकाशित संकलन - साझा संकलन (काव्यसागर, करोना काल, सावन की फुहार, मातृत्व, साहित्योदय पत्रिका) पता- Qr.No. - A/ll - 135(T) In front of home gaurd training center H.E.C. Colony Dhurwa Ranchi 834004