सच्चा धर्म
सच्चा धर्म
“जच्चा और बच्चा दोनों की स्थिति बहुत ही नाजुक है। यदि तुरंत ए.बी. निगेटिव ब्लड ग्रुप की 300 एम.एल. ब्लड की व्यवस्था नहीं की गई तो दोनों की जान भी जा सकती है।”
डॉक्टर ने मानो सुनने वालों के कान में गरम लावा उड़ेल दिया हो। इस दुर्लभ ग्रूप के ब्लड का नाम सुनकर पंडित रामकिशन और उनके परिजनों का चिंतित होना स्वाभाविक था।
नमाज के लिए जा रहे वार्ड ब्वाय असलम के दोनों हाथ ऊपर उठ गए, “या अल्लाह… ये कैसी मुसीबत में डाल दिया आपने। रमजान का महीना ऊपर से नमाज का वक्त…। क्या करूँ… ? ब्लड डोनेट करने से मुझे अपना रोजा तोड़ना पड़ेगा….। वरना दो मासूमों की जान…।”
उसे निर्णय लेने में देर नहीं लगी। बोला, “डॉ. साहब, मेरा ब्लड ए.बी. निगेटिव है। मैं इन्हें ब्लड डोनेट करूँगा। चलिए, आप जल्दी से आप तैयारी कीजिए।”
“पर असलम तुम तो नमाज के लिए जा रहे…”
“डॉक्टर साहब, आज यदि मैंने इन्हें ब्लड डोनेट नहीं किया, तो मेरा अल्लाह मुझे कभी मुआफ नहीं करेगा। चलिए, जल्दी कीजिए।”
डॉक्टर और असलम को ब्लड बैंक की ओर जाते पंडित रामकिशन और उनके परिजनों की आँखें नम हो गई थीं।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायगढ़, छत्तीसगढ़