गीत/नवगीत

नारी तू नारायणी

नारी तू नारायणी,

तू आधार जगत का है,

वरदान है तू वरदायनी,

नारी तू नारायणी।

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नारी तू नारायणी,

तुझसे जीवन है प्राण तू ही,

निर्मात्री तू निर्माण तू ही,

है धर्म तू धर्म परायणी,

नारी तू नारायणी।

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नारी तू नारायणी

तू पूज्या है तू ही पूजन,

मस्तिष्क है तू है तू ही मन,

तू मोह-मुक्ति हे तारणी,

नारी तू नारायणी।

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नारी तू नारायणी,

फिर अत्याचार तुझी पे क्यों,

फिर तू ही क्यों है दलित-दमित,

कहें तुझको क्यों व्यभिचारिणी?

नारी तू नारायणी।

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नारी तू नारायणी

चल उठ ले ले अधिकार अपना,

ले हिस्से का संसार अपना,

उग सूर्य तू हो उत्तरायणी,

नारी तू नारायणी।

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नारी तू नारायणी,

चल दिखा के जीवन तुझसे है,

सृष्टि का कण-कण तुझसे है,

तू नहीं पुरुष की चारणी,

नारी तू  नारायणी।

हे नारी तू नारायणी!

— मुकेश जोशी ‘भारद्वाज’

मुकेश जोशी 'भारद्वाज'

पता - ग्राम - टकौरा, पोस्ट ऑफिस - ऐंचोली, जिला - पिथौरागढ़, उत्तराखंड, 262530 मोबाइल नंबर - 9719822074 व्यवसाय - शिक्षक प्रकाशित कृतियाँ - हिंदी से हम, सृजन के फूल, चंद्रयान साझा काव्य संग्रह, सहित्यनामा पत्रिका में समय समय पर कविताएं प्रकाशित।