गीतिका/ग़ज़ल

किसको अपना दर्द बतायें

किसको अपना दर्द बतायें कौन सुनेगा अपनी बात 

सुनने बाले ब्याकुल हैं अब अपना राग सुनाने को 

हिम्मत साथ नहीं देती है खुद के अंदर झाँक सके 

सबने खूब बहाने सोचे मंदिर मस्जिद जाने को 

कैसी रीति बनायी मौला चादर पे चादर चढ़ती है 

द्वार तुम्हारे खड़ा है बंदा , नंगा बदन जड़ाने को 

दूध कहाँ से पायेंगें जो, पीने को पानी न मिलता  

भक्ति की ये कैसी शक्ति पत्थर चला नहाने को 

जिसे देखिये मिलता है अब चेहरे पर मुस्कान लिए

मुश्किल से मिलती है बातें दिल से आज लगाने को 

क्यों दिल में दर्द जगा देती है तेरी यादों की खुशबु  

गीत ग़ज़ल कबिता निकली है महफ़िल को महकाने को

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]