कविता

राम

चारों तरफ है राम व्याप्त 

करते दिन रात 

रामायण का पाठ 

पर सीख न ली 

उनके जीवन से 

आदर्श राम 

पिता की आज्ञा मान 

महल छोड़ 

स्वीकार किया वनवास 

अनुज हो लिया साथ

देने साथ अग्रज का 

दूजा न बैठा सिंहासन

सिंहासन पर रख 

भाई की चरण पादुका 

सोया चौदह वर्ष धरती पर 

हम में ऐसे कितने राम हैं 

कितने भाई लक्ष्मण से 

भरत की क्या बात करें 

जिसका हक़ था 

न्यासी बन सा रहा उस पर

तुरंत किया वापिस 

आते ही उसके 

जो था उसका हक़दार 

और खुद हुए समर्पित 

भाई के चरणों में

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020