कविता

शिवजी

आओ शिव का पूजन कर लें।जीवन में अपने सुख भर लें।।शिव शंकर औघड़ दानी हैं।हम सब मानव अज्ञानी हैं।।श्रद्धा से जल अर्पित करिए।नाम शंभु का जपते रहिए।।जीवन ये खुशहाल बनेगा।दुख का बंधन स्वयं मिटेगा।। मस्तक शिव के चंद्र बिराजे।कर में उनके डमरू साजे।।भक्तों की देख भीड़ भारी।लगता शिव से सबकी यारी।हर हर बम बम गूँज रहा है।समझो शिव का धाम वहाँ है।।जलाभिषेकों की अब बारी।रखिए अपनी सब तैयारी।।आज मास सावन फिर आया।भोले का श्री धाम सुहाया।।जन गण सब शिव धाम चलेंगे।भोले का अभिषेक करेंगे।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921