कविता

करवा चौथ

दिन पावन है करवा चौथ का
पति के नाम का श्रृंगार करु
करवा चौथ का व्रत है अनोखा
सुहागिनों का त्योहार मना
सजती हू सजना के लिए
करवा मां आशीष हमे दो
लाल चूड़ी, लाल बिंदी
लाल मेहंदी सजी हथेली
लाल है साड़ी लाल महावार
लाले लाल श्रृंगार बनी
चंद्र उदय हो तब व्रत खोलू
चंदा का इंतजार करु
चलनी लेकर दीप जलाकर
चंदा का मनुहार करु
दीर्घायु हो पति का आयु
मन ही मन आभार करु।

— विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

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