कविता

है चीज़ इस तरह 

है चीज़ इस तरह 
हमारे 
जीवन में मुलाकात
नहीं जानती है कि वे क्यों ऐसी घटती 
याद होती हैं बहुत मीठे
उनके दौरान से 
मगर
आदी है तो
नहीं करना चाहिए
लगने को पड़ना जैसे
दुख के रूप में महसूस होता है

— अमन्दा

एस. अमन्दा सरत्चन्द्र

श्री लंका

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